राममंदिर-बाबरी विवाद को लेकर पूर्व गृह सचिव माधव गोडबोले ने रविवार को एक खुलासा किया। गोडबोले ने कहा कि 1992 में बाबरी की सुरक्षा के लिए हमने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव प्रेसिडेंट रूल पर अपनी शक्तियों को लेकर संशय में थे। गोडबोले 1992 में गृहसचिव के पद पर थे और उन्होंने "द बाबरी मस्जिद-राम मंदिर डायलेमा: एन एसिड टेस्ट फॉर इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन' नामक किताब लिखी है।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बड़ी संख्या में कारसेवक इकट्ठा हुए थे। कारसेवा के दौरान इस ढांचे को गिरा दिया गया था। इस दौरान उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे।गोडबोले ने कहा- हमने आकस्मिक योजना बनाई थी, क्योंकि राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही थी। हमने योजना बनाई थी कि उत्तर प्रदेश में अनुच्छेद 355 लागू किया जाए, ताकि बाबरी मस्जिद की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों को वहां भेजे जाएं और फिर वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सके। तब प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव अपनी शक्तियों को लेकर संशय में थे कि संविधान उन्हें इन हालात में राष्ट्रपति शासन लागू करने की इजाजत देता है, या नहीं।